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Tajmahal किसने और क्यों बनवाया था ? ताजमहल के पीछे का रहस्य क्या है ?

Tajmahal किसने और क्यों बनवाया था : तो दोस्तों आज हम बात करेंगे दुनिया के सात आश्चर्यो में से एक ताजमहल के बारे में। तो आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ ताजमहल घूमने तो कभी न कभी गए ही होगें लेकिन क्या आपको पता है की “Tajmahal किसने और क्यों बनवाया था” इसको बनाने के पीछे क्या कहानी थी ? तो दोस्तों अगर आपको नहीं पता तो कोई बात नहीं हम आपको बताएँगे और ताजमहल के बारे में और काफी मजेदार और रहस्यमयी बातें भी बताएँगे।

Tajmahal किसने बनवाया था ?

ताजमहल, पाँचवे मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के द्वारा अपनी सबसे प्रिय बेगम मुमताज महल के लिए बनवाया था। यह बात सन 1631 ई० की है जब मुग़ल बादशाह शाहजहां हिंदुस्तान की जमीं पर अपने सबसे प्रिय बेगम मुमताज़ महल की मृत्यु का शोक मन रहे थे उनका प्यार आर्किटेक्चर के लिए काफ़ी था इसलिए वो कुछ ऐसा करना चाहते थे जिससे की वो अपनी बेगम मुमताज़ के प्रति अपनी मोहब्बत को दर्शा सकें।

शाहजहाँ पांचवे मुग़ल थे शनजहाँ अपने समय में न्यायप्रिय और वैभविलास के कारण अपने शासनकाल में बहुत लोकप्रिय थे लेकिन इतिहास में शाहजहाँ का नाम केवल किसी वजह से ही नहीं लिया जाता। इनका नाम एक ऐसे आशिक के तौर पर भी लिया जाता है जिसने अपने प्यार के लिए दुनिया की सबसे खूबसूरत ईमारत का निर्माण करवाया था। ये 1627 ई० में अपने पिता सम्राट जहांगीर की मृत्यु होने के बाद वह गद्दी पर बैठें। और इनके शासन काल को मुग़ल शासन काल का स्वर्ण युग और भारतीय सभ्यता का सबसे समृद्ध युग बुलाया जाता है।

Tajmahal क्यों बनवाया था ?

ताजमहल शाहजहाँ की तीसरी बेगम मुमताज़ की मजार है। मुमताज के गुजरने के बाद उनकी याद में शांहजहां ने ताजमहल का निर्माण करवाया था। कहा जाता है की मुमताज महल ने मरने से पहले मकबरा बनाए जाने की खुवाहिश जताई थी उसके बाद शांहजहां ने ताजमहल बनवाया था। ताजमहल को सफ़ेद संगमरमर के पत्तर से बनवाया गया था इसके चार कोनों में चार मीनारें बनवाई गई। शाँहजहाँ ने इस अद्भुत मीनार को बनवाने के लिए बगदाद और तुर्की से कारीगर बुलाये थे कहा जाता है की ताजमहल बनाने के लिए बग़दाद से एक कारीगर बुलवाया गया था तो जो की पत्थर पर घुमावदार अक्षरों को तरास करता था। इसी तरह बुखारा शहर से एक कारीगर को बुलाया गया था जो संगमरमर के पत्थर पर फूलों को तराशने में दक्ष था। और गुबंदों का निर्माण करने के लिए तुर्की के इस्तम्बुल में रहने वाले दक्ष कारीगर को बुलाया गया और मीनारों का निर्माण करने के लिए समरकंद से दक्ष कारीगर को बुलाया था।

और इस तरह अगल अलग जगह से ए कारीगरों के द्वारा ताजमहल बनाया था। 1630 ई० में शुरू हुआ ताजमहल का काम करीब 22 साल तक चला। इसे बनाने में करीब 20 से ज्यादा मजदूरों ने योगदान दिया था। यमुना के किनारे सफ़ेद पत्थरों से निर्मित अलोकिक सुंदरता की तस्वीर ‘ताजमहल’ आज न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में अपनी एक पहचान बना चूका है। प्यार की इस निशानी को देखने की लिए दूर देशो से रोज हजारो सैलानी आते हैं।

Tajmahal को बनाने में कितने साल लगे

ताजमहल को बनाने में 22 साल लगे इसका निर्माण 1631 ई० में शुरू हुआ था जो 1651 ई० में जाकर पूरा हुआ था। इससे बनाने के लिए 20 हजार मजदूरों ने काम किया था जिसमे भारत के अलावा फारस और तुर्की के मजदूर भी थे मुग़ल सम्राट शाँहजहाँ ने ताजमहल को अपने बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था।

Tajmahal बनवाने में कितने रुपए लगे

ताजमहल का निर्माण सन 1631 में शुरू हुआ था और 1653 में पूरा हुआ था। ताजमहल के निर्माण के लिए शाहजहाँ ने अफगान के अफगानी आर्किटेक्ट उस्ताद अहमद लाहौरी को लगाया था। ताजमहल को बनाने में 20 हजार से ज्यादा मजदुर जुटे हुए थे देखा जाये तो उस ज़माने में ताजमहल की कंस्ट्रस्क्शन कॉस्ट 32 करोड़ रुपए के लगभग थी। ताजमहल का गुबंद और मकबरा बनाने में 15 साल का वक्त लगा था जबकि इसकी मीनारें, दरवाजे और मस्जिद बनाने में 5 साल लगे। ताजमहल में मौजूद मुमताज की कब्र के पास अल्लाह के 99 नाम लिखे हुए हैं।

Tajmahal कहाँ पर स्थित है – ताजमहल कहाँ है ?

ताजमहल उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में स्थित है। ताजमहल सुन्दर कारीगरी और बेशकीमती पत्थरों से बानी एक अद्भुत ईमारत है। यह एक विश्व धरोहर आधारित मकबरा है।

Tajmahal का निर्माण

ताजमहल का निर्माण आगरा के दक्षिण क्षेत्र में छोटे से भूमि पठार पर किया गया। यह छोटा सा भूमि पठार पहले जयपुर के राजा जय सिंह का महल हुआ करता था परन्तु शाँहजहाँ ने राजा जयसिंह के लिए आगरा के मध्य में इस महल से भी अधिक बड़ा महल दे किया। इसके बाद यहाँ की भूमि को खोलकर कंकड़ पत्थर भरे गए ताकि बाद में सीलन के समस्या न हो और फिर इसे 50 मीटर तक ऊँचा उठाया गया।

इसके बाद संगमरमर के पत्थरों और अन्य सामग्रियों को मिट्टी की ढाल और बेलों की सहायता से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया गया। पानी को वहां पर बने बड़े बड़े टैंकों में पहुंचाया जाता था और उसके बाद निर्माण कार्य में हर स्थान पर लगे छोटे छोटे पाइपों की सहायता से पानी को वहां तक पहुंचाया जाता था। इसकी आधारशिला और अग्रभाग में बने मकबरे को निर्मित होने में 12 साल लगे। इसके बाद आगे के 10 सालों में इमारतें,मस्जिद और मीनारों का निर्माण किया गया।

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Tajmahal के हिन्दू मंदिर होने का सबूत 

बहुत बड़े इतिहासकार परुषोत्त ओक ने अपने किताब में लिखा है की ताजमहल के हिन्दू मंदिर होने के कई सबूत अभी मौजूद हैं। सबसे पहले की जो मुख्य गुंबद के किरीट पर जो कलश है वह हिन्दू मंदिरो की तरह है। यह शिखर कलश आरंभिक 1800 ई० तक स्वर्ण का था लेकिन अब यह काँसे का बना है। और आज के समय में भी हिन्दू मंदिरो पर स्वर्ण कलश स्थापित करने की परम्परा है। यह कलश हिन्दू मदिरों के शिखर पर भी पाया जाता है इस कलश पर चन्द्रमा भी बना है अपने नियोजन के कारण चन्द्रमा और कलश की नोंक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है जोकि हिन्दुओं के भगवान शिव का चिन्ह है।

Tajmahal का रहस्य – Tajmahal Secrat 

तो दोस्तों ताजमहल का रहस्य एक ऐसा रहस्य है जोकि पूरी तरह उजागर नहीं हुआ है अर्थात ताजमहल के बारे में अभी पूर्ण रूप से किसी को ज्ञात नहीं है। की ताजमहल में बहुत से दरवाजे ऐसे हैं उनके बारे में यह नहीं पता की वह कहाँ खुलते हैं। ताजमहल में ऐसी सुरंग बनी हुई हैं ,जिन्हें अब बंद कर दिया गया है

तो दोस्तों आज हम आपको ताजमहल के कुछ अद्भुत रहस्यों के बारे में बताएँगे जिनके बारे में आपको शायद ही पता होगा –

1) ताजमहल की सचाई ( Truth of Tajmahal )

तो दोस्तों जैसा की सभी जानते होंगे की ताजमहल दुनिया में अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है और इसकी सुंदरता में कोई कमियां नहीं निकल सकता और शांहजहां भी यही चाहते थे की ताजमहल में किसी प्रकार की कमी न हो और न निकले। लेकिन क्या अपने कभी गौर किया है की मुमताज़ की मजार के ठीक ऊपर एक ऐसा छेद है जहाँ से पानी टपकता है और यह छेद कारीगर ने जानबूझ कर छोड़ा था उससे पता चल गया था की ताजमहल पूर्ण रुप से बन जाने के बाद उन सभी मजदूरों के हाथ काट दिए जायेंगे। इसी प्रकार ताजमहल में 11 नक्काशी दर पिलर हैं, इनमें से एक गोलाकार है जबकि बाकि सारे निकोने बने हुए हैं

2) खास दरवाजा ( Special Door )

ताजमहल में बहुत से ऐसे दरवाजे भी हैं जिन्हें किसी खास मकसद से बनाया गया था इन्हीं में से एक है खास दरवाजा ताजमहल में शांहजहां हमेशा इसी दरवाजे से प्रवेश किया करते थे यह दरवाजा यमुना नदी के किनारे ताजमहल से थोड़ी दूर बना हुआ है। यहाँ पर नाव के द्वारा जाया जाता है यह दरवाजा अंतिम समय में जब शांहजहां की मृत्यु हुई थी उस समय उनके शरीर को ताजमहल में लाने के लिए खोला गया था उसके बाद इस दरवाजे को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया था।

3) शाहजहां और मुमताज का मकबरा ( Tomb of Shah Jahan and Mumtaz )

तो दोस्तों क्या आप जानते हैं की ताजमहल में शांहजहां और मुमताज़ के असली और नकली दो किस्म के मकबरें हैं अगर आपको नहीं पता तो हम आपको बताते हैं। देखो दोस्तों अगर जब आप ताजमहल देखने जाओगे तो आपको ताजमहल के मुख्य कक्ष में शाहजहां और मुमताज़ के मकबरे देखने को मिलेंगे। लेकिन यह मकबरे उनके नकली मकबरें हैं जबकि उनके असली मकबरे तो तहखाने में है।

4) रहस्यमयी कमरे ( Misterious Room )

ताजमहल के नीचे की हरफ़ कई मीटर दूर विभिन्न कमरों का निर्माण किया गया था इन कमरों को गुप्त कमरा भी कहा जाता है। लेकिन अभी तक किसी को यह नहीं पता की इन कमरों का निर्माण को किया गया था और इनका इस्तेमाल किस लिए किया जाता था। ऐसे सभी दरवाजे भारत सरकार द्वारा बंद कर दिए गए हैं।

ताजमहल या तेजो महल ? 

पुरषोत्तम नागेश ओके ने ताजमहल पर शोधकार्य करके बताया है की ताजमहल को पहले के समय में ‘तेजो महलय’ कहते थे। वर्तमान में ताजमहल पर ऐसे 700 चिन्ह खोजे गए हैं जो की इस बात तो दर्शाते हैं की इसका रिकंस्ट्रक्शन किया गया है। इसकी मीनारें बहुत बाद के काल में निर्मित की गई। ताजमहल में ‘तेज – लिंग’ प्रतिष्ठित था इसलिए इसका नाम ‘तेजोमहालय’ पड़ा था।

कुछ अंतिम शब्द 

तो दोस्तों आशा करता हूँ की आपको हमारा आर्टिकल ‘Tajmahal किसने और क्यों बनवाया था ? ताजमहल के पीछे का रहस्य क्या है ?’ पसंद आया होगा। आज हमने आपको Tajmahal किसने बनवाया, Tajmahal क्यों बनवाया, Tajmahal कहाँ पर स्थित है, Tajmahal बनाने में कितने रुपए लगे आदि के बारे में जानकारी दी है अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो आप इस जानकारी को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ शेयर करे सकते है और हमें Comment करके जरूर बताएं। Thank You.

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